KASHMIR HAI KISKA
जब मुझसे किसी ने पूछा
कि कश्मीर है किसका
तो मैंने कहा
पहले ये बताओ
इसे जन्नत से मौत का घर बनाया किसने
हाथो से औज़ार छीन कर
हथियार थमाया किसने
मासूमो को आतंक का सरताज़ बनाया किसने
चहरों से मुस्कान छीन कर
यह कश्मीर उसका तो हरगिज़ नहीं
चाहे जान लेलो
उनके आगे जुखने वाले तो हम कभी नहीं
जो अपनी राजनीति की रोटी सेकना छोड़कर
हमे सुकून की दो वक़्त की रोटी दिलाए
जो हाथो में हथियार नहीं
रोज़गार दिलाये
जो नफरत की आग नहीं
अमन का पैगाम फैलाये
जो मज़हब को नहीं
कश्मीर की तरक्की को आगे बढ़ाए
जो कश्मीर को दुनिया से काटे नहीं
बल्कि पुरे जहां से मिलाए
जो कश्मीर को उसकी पहचान दिलाए
यह कश्मीर है उसका
और पूरा जहां जानता है
कि कश्मीर है किसका
कश्मीर है किसका
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